हिंदी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन शामिल होते हैं।
परंतु अक्सर छात्रों को यह समझने में भ्रम होता है कि हिंदी वर्णमाला में कुल कितने वर्ण होते हैं — 44, 46 या 52?
इस भाग में हम वर्णमाला की पूरी संख्या, इसके विभिन्न मत और भ्रम पैदा करने वाले तथ्य समझेंगे।
1. हिंदी वर्णमाला की संख्या क्यों अलग-अलग बताई जाती है?
वर्णों की कुल संख्या विभिन्न ग्रंथों और शिक्षण पद्धतियों में अलग-अलग बताई जाती है। इसका कारण यह है कि कुछ लोग कुछ वर्णों को शामिल करते हैं और कुछ नहीं।
मुख्य मान्यताएँ इस प्रकार हैं:
44 वर्ण — सबसे अधिक मान्यता प्राप्त संख्या है। इसमें 11 स्वर और 33 व्यंजन शामिल होते हैं।
46 वर्ण — यदि अनुस्वार (अं) और विसर्ग (अः) को भी स्वर माना जाए तो वर्ण संख्या 46 हो जाती है।
49 वर्ण — 44 व्यंजन के अलावा तीन संयुक्त व्यंजन — क्ष, त्र, ज्ञ — को भी शामिल किया जाए।
हिंदी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन मिलाकर कुल 49 वर्ण होते हैं।
इनमें से 44 व्यंजन होते हैं (व्यंजन वर्ण), और तीन विशेष संयुक्त व्यंजन होते हैं:
क्ष, त्र, ज्ञ
इस प्रकार कुल व्यंजन 44 + 3 = 47 होते हैं।
लेकिन पूरे वर्णमाला में स्वर (13) और व्यंजन (44 + 3) मिलाकर कुल 49 वर्ण होते हैं।
52 वर्ण — 49 वर्णों के साथ-साथ हिंदी में प्रयुक्त कुछ विशेष व्यंजन जैसे ‘ड़’, ‘ढ़’, ‘ऩ’ को भी जोड़ा गया है
2. स्वर और व्यंजन की पुनः स्मृति:
स्वर (11): अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
व्यंजन (33): क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह
3. भ्रम पैदा करने वाले तथ्य:
क्या ‘क्ष’, ‘त्र’, ‘ज्ञ’ अलग वर्ण हैं?
ये संयुक्त व्यंजन हैं जो दो व्यंजनों के मेल से बनते हैं। कई बार इन्हें अलग-अलग वर्ण माना जाता है, पर वैज्ञानिक दृष्टि से वे संयुक्त हैं।
क्या ‘अं’ और ‘अः’ स्वर हैं?
ये स्वर नहीं, बल्कि अनुस्वार और विसर्ग हैं, जो स्वर के समान ध्वनि देते हैं, इसलिए कुछ पाठ्यक्रम इन्हें स्वर समझते हैं।
‘ड़’, ‘ढ़’, ‘ऩ’ व्यंजन हैं?
ये विशेष व्यंजन हैं, जो हिंदी भाषा में बोलचाल में उपयोग होते हैं, पर मूल व्यंजन सूची में नहीं आते।
4. निष्कर्ष:
शिक्षा और परीक्षाओं में 44 वर्ण (11 स्वर + 33 व्यंजन) को ही मुख्य माना जाता है।
अनुस्वार, विसर्ग और संयुक्त व्यंजनों को जोड़ना भाषा के विस्तार और गहराई का विषय है, जो आगे के अध्ययन के लिए है।
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